हरियाणा में अब कोई भी यूनिवर्सिटी अथवा कॉलेज अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के छात्र-छात्राओं से फीस अथवा किसी भी तरह का फंड नहीं ले सकेंगे। ऐसा करने पर संबंधित यूनिवर्सिटी अथवा कॉलेज की ग्रांट रोक दी जाएगी। प्राइवेट संस्थानों को सरकार ने उनकी एनओसी रद्द करने की चेतावनी दी है।
सरकार ने प्रदेशभर से इस संबंध में मिली शिकायतों के बाद यह फैसला किया है। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर की ओर से इस संबंध में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक, भगत फूल सिंह महिला महाविद्यालय खानपुर, चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा, चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय भिवानी, चौधरी रणबीर विश्वविद्यालय भिवानी और अनुदान प्राप्त, स्व वित्त पोषित प्राइवेट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को एक परिपत्र भेजा गया है। परिपत्र में कहा गया कि शिकायत मिलने के बाद अगर किसी संस्थान की एनओसी रद्द होती है या ग्रांट रुकती है तो उसके वह खुद जिम्मेदार होगा।
केंद्र सरकार ने निर्देशों का संस्थानों ने निकाला गलत अर्थ: केंद्र सरकार ने पिछले दिनों सभी संस्थानों को निर्देश दिए थे कि एससी वर्ग के जो छात्र पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम में पात्र हैं, उनसे दाखिले के समय फीस अथवा किसी तरह के फंड्स नहीं लिए जाने हैं। सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी, कॉलेजों ने इसका अर्थ अपनी सुविधानुसार निकाल लिया। कुछ संस्थानों ने प्रवेश के बजाय बाद में एससी छात्रों से फीस और फंड्स की डिमांड करनी शुरू कर दी। कुछ को तो यह राशि जमा करवाने के लिए मजबूर भी किया गया। जबकि एससी छात्रों की ट्यूशन फीस से लेकर सभी तरह के शुल्क अथवा फंड्स आदि का भुगतान हायर एजुकेशन डायरेक्टोरेट की ओर से किया जाना है।
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