निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए छात्रों की फीस हजम कर जाना या ओरिजनल सर्टिफिकेट लौटाने में देरी अब नहीं संभव होगी। लगातार मिल रही ऐसी शिकायतों के बाद यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने बेहद सख्त नियम तैयार किए हैं। इसके तहत छात्र तय समय में आवेदन करे तो 15 दिन के अंदर पूरी फीस अनिवार्य रूप से लौटानी होगी। छात्र के ओरिजनल दस्तावेज भी संस्थान को हाथों-हाथ लौटाने होंगे। संस्थान एक बार में एक सेमेस्टर या एक साल से ज्यादा की फीस भी नहीं ले सकता।

यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के एक महीने बाद ही संस्थान पूरी फीस जब्त कर सकेगा। इन नियमों में कॉशन और सिक्योरिटी मनी को छोड़ कर सभी तरह की कोर्स फीस और दूसरी फीस शामिल होंगी। प्रोसेसिंग चार्ज के नाम पर भी संस्थान 10 फीसद से ज्यादा रकम नहीं काट सकेगा। यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘इस संबंध में शिकायतों और मुकदमों की बड़ी संख्या को देखते हुए नई अधिसूचना तैयार की गई है। इससे खास तौर पर निजी उच्च शिक्षण संस्थानों की मुनाफाखोरी और ब्लैकमेलिंग पर रोक लग सकेगी।’ सभी विश्वविद्यालयों को अनिवार्य रूप से शिकायत निवारण समिति (जीआरसी) भी गठित करनी होगी। यूजीसी को शिकायत मिली तो वह जीआरसी से सफाई मांगेगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर यूजीसी कार्रवाई कर सकता है। नए नियमों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थान अब छात्र की अकादमिक या व्यक्तिगत सर्टिफिकेट की स्वत: प्रमाणित कॉपी ही रख सकेंगे। दाखिले के समय संस्थान मूल प्रमाणपत्रों की जांच कर सकता है, मगर उसे कागजात लौटाने होंगे। पाठ्यक्रम के दौरान भी संस्थान छात्र से ओरिजनल कागजात जमा करने के लिए नहीं कह सकते।
यूजीसी ने माना है कि फीस और सर्टिफिकेट वापसी को लेकर वर्ष 2007 में जारी निर्देश का पालन नहीं हो रहा। इसी वजह से इसकी 15 नवंबर को हुई बैठक में नए नियमों को मंजूरी दी गई है। इसके बाद छह दिसंबर को यूजीसी के सचिव जेएस संधू ने सभी संस्थानों को पत्र लिख कर नए नियमों पर आगाह भी किया है कि संस्थान अपने नियमों में जरूरी बदलाव कर लें
यूजीसी के नए प्रावधान

यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के एक महीने बाद ही संस्थान पूरी फीस जब्त कर सकेगा। इन नियमों में कॉशन और सिक्योरिटी मनी को छोड़ कर सभी तरह की कोर्स फीस और दूसरी फीस शामिल होंगी। प्रोसेसिंग चार्ज के नाम पर भी संस्थान 10 फीसद से ज्यादा रकम नहीं काट सकेगा। यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘इस संबंध में शिकायतों और मुकदमों की बड़ी संख्या को देखते हुए नई अधिसूचना तैयार की गई है। इससे खास तौर पर निजी उच्च शिक्षण संस्थानों की मुनाफाखोरी और ब्लैकमेलिंग पर रोक लग सकेगी।’ सभी विश्वविद्यालयों को अनिवार्य रूप से शिकायत निवारण समिति (जीआरसी) भी गठित करनी होगी। यूजीसी को शिकायत मिली तो वह जीआरसी से सफाई मांगेगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर यूजीसी कार्रवाई कर सकता है। नए नियमों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थान अब छात्र की अकादमिक या व्यक्तिगत सर्टिफिकेट की स्वत: प्रमाणित कॉपी ही रख सकेंगे। दाखिले के समय संस्थान मूल प्रमाणपत्रों की जांच कर सकता है, मगर उसे कागजात लौटाने होंगे। पाठ्यक्रम के दौरान भी संस्थान छात्र से ओरिजनल कागजात जमा करने के लिए नहीं कह सकते।
यूजीसी ने माना है कि फीस और सर्टिफिकेट वापसी को लेकर वर्ष 2007 में जारी निर्देश का पालन नहीं हो रहा। इसी वजह से इसकी 15 नवंबर को हुई बैठक में नए नियमों को मंजूरी दी गई है। इसके बाद छह दिसंबर को यूजीसी के सचिव जेएस संधू ने सभी संस्थानों को पत्र लिख कर नए नियमों पर आगाह भी किया है कि संस्थान अपने नियमों में जरूरी बदलाव कर लें
यूजीसी के नए प्रावधान
- एक बार में एक सेमेस्टर या वर्ष की ही ले सकेंगे फीस
- तय समय में एडमिशन वापस लिया तो सौ फीसद फीस लौटाएं
- अंतिम तारीख के 15 दिन बाद तक 80 फीसद रकम लौटानी होगी
- छात्र का कोई ओरिजनल कागजात नहीं रख सकेंगे
- छात्रों को प्रास्पेक्टस खरीदने के लिए नहीं किया जा सकता मजबूर
- यूजीसी के तहत सभी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों व संस्थानों पर लागू
- स्नातक, स्नातकोत्तर और रिसर्च कार्यक्रमों में भी प्रभावी ये नियम
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