जेबीटी (जूनियर बेसिक टीचर) प्रशिक्षण संस्थानों में इस बार भी रिक्त सीटें नहीं भरी जा सकीं। नौ बार काउंसलिंग करवाने देनेे बाद भी सरकारी से लेकर निजी संस्थानों में 15 से 20 फीसद सीटें रिक्त हैं। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यकाल के दौरान स्कूल अनुभव को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
जेबीटी का कोर्स कराने के लिए प्रत्येक जिले में एक राजकीय संस्थान (डाइट) है। शिक्षण कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए चार वर्ष पहले 180 दिनों का स्कूल में पढ़ाने का अनुभव लेना अनिवार्य कर दिया गया। छात्र अध्यापकों ने इसका विरोध किया लेकिन अधिकारी इसे लागू करने पर अड़े रहे। एससीईआरटी के एक अधिकारी के मुताबिक ज्यादातर डाइट संस्थानों में न्यूनतम 15 से 20 फीसद सीटें रिक्त हैं। परिषद ने रिक्त सीटों को भरने के लिए माइग्रेशन का विकल्प दिया जिसकी आवेदन की अंतिम तिथि 2 जनवरी थी।
नौं बार काउंसिलिंग का अवसर देने के बाद भी सरकारी से लेकर निजी संस्थानों में 15 से 20 फीसद सीटें रिक्त
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