हरियाणा ने अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में अलग हाई कोर्ट के लिए हुंकार भर दी है। विधानसभा के विशेष सत्र में मनोहर सरकार की तरफ से राज्य की अलग हाई कोर्ट के लिए संकल्प पत्र लाया गया, जिस पर इनेलो और कांग्रेस ने भी सहमति जताई। हाई कोर्ट चंडीगढ़ में ही बनाने का सुझाव देते हुए सरकार से आग्रह किया गया कि वह सीमा विवाद खत्म कराने की दिशा में भी पहल करे। संसदीय कार्य मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने हरियाणा के अलग हाई कोर्ट का संकल्प पत्र पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित करते हुए केंद्र सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया, ताकि लोकसभा में हरियाणा के अलग हाई कोर्ट का कानून बनाया जा सके। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रधानमंत्री मोदी से हुई मुलाकात के बाद सरकार अलग हाई कोर्ट की दिशा में आगे बढ़ी है।
सरकार ने हाईकोर्ट की बिल्डिंग का सही ढंग से बंटवारा नहीं होने और राज्य के हिस्से के न्यायाधीशों की कमी पर भी नाराजगी जताई। हरियाणा ने कहा कि हाई कोर्ट के जजों के चयन में उसे पूरा हक नहीं मिला है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सदन में स्वीकार किया कि अलग हाई कोर्ट के लिए पिछली सरकारों ने भी पुरजोर कोशिशें की। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि हरियाणा को उसका हक मिलना चाहिए।
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