अब प्रदेश सरकार ने परिवहन और राजमार्ग विभाग के साथ राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआइसी) के सहयोग से मानकीकृत साफ्टवेयर विकसित किया है। यह दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में प्रारंभ की जा चुकी है। अब हरियाणा में इस को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। अधिकारियों की मानें तो स्मार्ट कार्ड में अंतर राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आइएसओ) इंटरनेशनल इलेक्ट्रो टैक्निकल कमीशन के मानकों पर तैयार 4 केबी मेमोरी की माइक्रो प्रोसेसर चिप लगेगी। इस चिप में केंद्रीय मोटर यान नियमावली के तहत निर्धारित सूचना होगी। यदि प्रदेश सरकार कोई और सूचना इसमें स्टोर करना चाहती है तो माइक्रो प्रोसेसर से बाहर कोई अन्य अतिरिक्त सूचना, स्टोरेज मीडिया और टेक्नोलॉजीकल मीडिया का इस्तेमाल हो सकता है।
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अब बनेंगे स्मार्ट कार्ड आधारित ड्राइविंग लाइसेंस
प्रदेश में भी अब स्मार्ट कार्ड आधारित ड्राइविंग लाइसेंस बनने जा रहे है। इसके साथ ही वाहनों का पंजीकरण प्रमाणपत्र एवं परमिट भी ऑनलाइन होगा। सूत्रों की मानें तो स्टेट ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट इस को इस साल अंतिम रूप दे सकता है। परिवहन विभाग इसका पूरा प्रारूप तैयार कर चुका है। इससे न सिर्फ प्रदेश में बनने वाले फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस पर लगाम लगेगी बल्कि विभाग में भी सूचना प्रौद्योगिकी की शुरुआत होगी और ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
प्रदेश के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में भी बदलाव होगा। आरटीओ का बैक इंड ऑटोमेशन और फ्रंट इंड कंप्यूटरीकरण होगा। इसमें स्मार्ट कार्ड आधारित ड्राइविंग लाइसेंस और परिवहन वाहनों के पंजीकरण प्रमाण पत्र और परमिट पंजीकृत किए जाएंगे। इस पर केंद्र सरकार के आदेशों पर एनआइसी पूरी नजर रखेगी ताकि प्रभावी तरीके से लागू हो सके।
सन 2002 में जारी हुई थी की अधिसूचना: अधिकारियों की मानें तो 31 मई 2002 को देशभर में इस को लेकर अधिसूचना जारी हुई थी। इसके बाद हर राज्य को इस को लागू करने पर फैसला लेना था, लेकिन जब राज्यों ने इसको लागू नहीं किया तो 10 अगस्त, 2004 को इस को केंद्रीय मोटर यान नियमावली 1989 में शामिल कर लिया था।
फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक: अधिकारियों की मानें तो ड्राइविंग लाइसेंस से पता नहीं चल पाता है कि उसने कितनी बार ट्रैफिक नियमों की उल्लंघना की है। इसके अलावा फर्जी लाइसेंस से भी वाहनों को चलाया जा रहा है जिससे राजस्व का नुकसान होता है। के लागू होने के बाद वाहन मालिक या चालक का पूरा डाटा विभाग के पास होगा