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मुख्यमंत्री खट्टर की दो टूक : हर मैडल विजेता को नहीं बना सकते डीएसपी, और विभागो में भी दी जायेगी नौकरी

अंतरराष्ट्रीय खेलों में मेडल जीत कर आने वाले खिलाड़ी अब आगे से हरियाणा पुलिस में डायरेक्ट डीएसपी नहीं लग पाएंगे। पुलिस महकमे की आपत्ति के बाद अब सीएम मनोहर लाल ने भी स्पष्ट कर दिया है कि हर किसी को पुलिस में सीधे डीएसपी नहीं लगाया जा सकता। सरकार और विभाग की अपनी सीमाएं हैं। मेडल विजेता खिलाड़ियों को अन्य विभागों में भी नौकरियां दी जाएंगी। कोशिश यही रहेगी कि उन्हें ऐसे कामों में लगाया जाए, जिससे खेलों को बढ़ावा मिले और उनकी खेलों के प्रति रुचि बनी रहे।
शनिवार को यहां मीडिया से रूबरू हुए सीएम मनोहर लाल ने मेडल विजेता खिलाड़ियों को नौकरियां दिए जाने और खेल पॉलिसी को लेकर एक सवाल के जवाब में कहा कि इसके लिए एक कैबिनेट सब कमेटी बनाई हुई है। कमेटी इस तरह के मामलों पर विचार कर रही है। उम्मीद है कमेटी जल्दी अपनी सिफारिश सरकार को देगी। उसी के मुताबिक आगे कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि नई खेल पॉलिसी में सरकार ने कई बदलाव किए हैं। खिलाड़ियों की न केवल पुरस्कार राशि बढ़ाई गई है, बल्कि अच्छे खिलाड़ी तैयार करने के लिए नर्सरियां भी खोली जा रही हैं।
मेडल विजेता खिलाड़ियों को डायरेक्ट डीएसपी लगाए जाने को लेकर पुलिस महकमे की आपत्ति थी कि खिलाड़ी कोटे से लगे डीएसपी के पास न तो बेसिक मिनिमम शैक्षणिक योग्यता होती और न ही वे जरूरी ट्रेनिंग ही करते हैं। इससे अपराधों के जांच कार्यों के अलावा प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। सरकार के पास खेल कोटे में नौकरी मांगने वाले 125 खिलाड़ियों के आवेदन विचाराधीन पड़े हैं। इनमें 63 एप्लीकेशन तो कंपलीट थीं, लेकिन 62 अधूरी थीं। कैबिनेट सब कमेटी ने अब अन्य खिलाड़ियों को भी आवेदन करने का मौका देने का फैसला किया है।

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